हिन्दू धर्म में जब भी पूजा या यज्ञ किया जाता है तो हाथ में मौली का धागा बांधा जाता है | शास्त्रों में भी मौली का जिक्र मिलता है | जानकारी के लिए बता दे मौली शब्द का मतलब 'सबसे ऊपर' होता है | मौली के अन्य नाम की बात करे तो कई लोग इसे 'कलेवा' भी कहते है तो प्राचीन शास्त्रों में इसे 'उप मणिबंध' भी कहा गया है | इसके अलावा जब भी इसे बांधते हुए पूजा या यज्ञ का संकल्प लिया जाता है तो इसे 'संकल्प सूत्र' भी कहते है |
पैराणिक कथाओ के अनुसार माता लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथ में यह धागा रक्षा सूत्र के रूप में बांधा था | तभी से इस धागे को बांधा जाने लगा, ऐसा कहा जाता है कि ये धागा नकारात्मक शक्तियों से हमारी रक्षा करता है | शास्त्रों के अनुसार मौली के धागे को बांधते समय यदि नीचे बताये गए मन्त्र का उच्चारण किया जाये तो ये धागा सिद्ध हो जाता है |
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
किससे बनता है मौली का धागा
मौली का धागा आम तौर पर तीन रंगो लाल, पीला और सफ़ेद या हरा होता है, ये त्रिदेव को दर्शाता है | वहीँ कभी कभी यह धागा 5 रंगो का होता है ये पांच देवो को दर्शाता है | जानकारी के लिए बता दे ये मौली का धागा सूत से बनता है |
मौली बांधने के नियम
- हाथ में मौली बांधते समय मुट्ठी बंद रखनी चाहिए | यदि मुट्ठी में पैसे रखे जाये तो ये और भी शुभ माना जाता है क्योंकि इससे हमेशा बरकत बनी रहती है |
- इस बात का जरूर ध्यान रखे की मौली बंधवाते समय आप सिर कपडे का ढका हो |
- कई लोग मौली के धागे को कई बार लपेट लेते है, ये सही नहीं है मौली के धागे को तीन से अधिक बार नहीं लपेटना चाहिए |
कब बांधे मौली
- किसी भी पूजा या हवन के दौरान इसे बांधा जाता है |
- किसी भी पर्व के दौरान इसे बांधा जाता है |
- मंगलवार या शनिवार का दिन इसे बांधने के लिए शुभ माना जाता है |
- यदि आप धागा बदलना चाहते है तो मंगलवार या शनिवार के दिन ही ऐसा करे और पुराने मौली के धागे को पीपल के पेड़ पर चढ़ा दे |